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Mahabharata period and the four ancient district of himachal pradesh

 Mahabharata period and the four ancient district of himachal pradesh

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Mahabharata period and the four ancient district of himachal pradesh


ऋग्वेद में हिमाचल को हिमवन्त कहा गया है। महाभारत में पाण्डवों ने अज्ञातवास कासमय हिमाचल की ऊपरी पहाड़ियों में व्यतीत किया था। भीमसेन ने वनवास काल में कुल्लू की कुल देवी हिडिम्बा से विवाह किया था। त्रिगर्त राजा सुशर्मा महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे। कश्मीर, औदुम्बर और त्रिगर्त के शासक युधिष्ठिर को कर देते थे। कुलिन्द रियासत ने पाण्डवों की अधीनता स्वीकार की थी। महाभारत में 4 जनपदों त्रिगत, औदुम्बर, कुलिन्द और कुलूत का विवरण मिलता है।

  • औदुम्बर-महाभारत के अनुसार औदुम्बर विश्वामित्र के वंशज थे जो कौशिक गौत्र से संबंधित है। औदुम्बर राज्य के सिक्के काँगड़ा, पठानकोट,ज्वालामुखी, गुरदासपुर और होशियारपुर के क्षेत्रों में मिले हैं जो उनके निवास स्थान की पुष्टि करते हैं। ये लोग शिव की पूजा करते थे। पाणिनि के गणपथ में भी औदुम्बर जाति का विवरण मिलता है। अदुम्बर वृक्ष की बहुलता के कारण यह जनपद औदुम्बर कहलाता है। ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि में औदुम्बरों के सिक्कों पर महादेवसा शब्द मिला है जो ‘महादेव का प्रतीक है। सिक्कों पर त्रिशूल भी खुदा है। औदुम्बरों ने तांबे और चाँदी के सिक्के चलाए। औदुम्बर शिवभक्त और भेड़पालक थे जिससे चम्बा की गद्दी जनजाति से इनका संबंध रहा होगा।
  • त्रिगर्त-त्रिगर्त जनपद की स्थापना भूमिचंद ने की थी। सुशर्मा उसकी पीढ़ी का 231वाँ राजा था। सुशर्म चन्द्र ने महाभारत युद्ध में कौरवों की सहायता की थी। सुशर्म चन्द्र ने पाण्डवों को अज्ञातवास में शरण देने वाले मत्स्य राजा विराट पर आक्रमण किया था (हाटकोटी) जो कि उसका पड़ोसी राज्य था। त्रिगर्त, रावी, व्यास और सतलुज नदियों के बीच का भाग था। सुशर्म चन्द्र ने काँगड़ा किला बनाया और नगरकोट को अपनी राजधानी बनाया। कनिष्क ने 6 राज्य समूहों को त्रिगर्त का हिस्सा बताया था। कौरव शक्ति, जलमनी, जानकी, ब्रह्मगुप्त, डन्डकी और कौन्दोप्रथा त्रिगर्त के हिस्से थे। पाणिनी ने त्रिगर्त को आयुधजीवी संघ कहा है जिसका अर्थ है-युद्ध के सहारे जीने वाले संध। त्रिगर्त का उल्लेख पाणिनी के अष्टाध्यायी, कल्हण के राजतरंगिनी, विष्णु पुराण, बृहत्संहिता तथा महाभारत के द्रोणपर्व में भी हुआ है।
  •  कुल्लूत-कुल्लूत राज्य व्यास नदी के ऊपर का इलाका था जिसका विवरण रामायण, महाभारत, वृहतसंहिता, मार्कण्डेय पुराण, मुद्राराक्षस और मत्स्य पुराण में मिलता है। इसकी प्राचीन राजधानी नग्गर थी जिसका विवरण पाणिनि की कत्रेयादी गंगा में मिलता है। कुल्लू घाटी में राजा विर्यास के नाम से 100 ई. का सबसे पुराना सिक्का मिलता है। इस पर प्राकृत और खरोष्ठी भाषा में लिखा गया है। कुल्लूत रियासत की स्थापना प्रयाग (इलाहाबाद) से आए विहंगमणि पाल ने की थी।
  • कुलिंद-महाभारत के अनुसार कुलिंद पर अर्जुन ने विजय प्राप्त की थी। कुलिंद रियासत व्यास, सतलुज और यमुना के बीच की भूमि थी जिसमें सिरमौर, शिमला, अम्बाला और सहारनपुर के क्षेत्र शामिल थे। वर्तमान समय के “कुनैत या कनैत का संबंध कुलिंद से माना जाता है। कुलिंद के चाँदी के सिक्के पर राजा अमोघभूति का नाम खुदा हुआ मिला है। यमुना नदी का पौराणिक नाम कालिंदी है और इसके साथ-साथ पर पड़ने वाले क्षेत्र को कुलिंद कहा गया है। इस क्षेत्र में  वाले कुलिंद (बहेड़ा) के पेड़ों की बहुतायत के कारण भी इस जनपद का नाम कुलिन्द पड़ा होगा। महाभारत में अर्जुन ने कुलिन्दों पर विजय प्राप्त की थी। कुलिन्द राजा सुबाहू ने राजसूय यज्ञ में युधिष्ठिर को उपहार भेंट किए थे। कुलिंदों की दूसरी शताब्दी के भगवत चतरेश्वर महात्मन वाली मुद्रा भी प्राप्त हुई है। कुलिंदों की गणतंत्रीय शासन प्रणाली थी। कुलिन्दों ने पंजाब के योद्धाओं और अर्जुनायन के साथ मिलकर कुषाणों को भगाने में सफलता पाई थी।



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