Daily GK Topic:- 07 April 2023

  Daily GK Topic:- 07 April 2023

Post Name:- Daily Gk Topic

Post Date:- 07 April 2023

Language:- Hindi


Daily GK Topic:- 07 April 2023



संसारचन्द

  •   घमण्डचन्द की मृत्यु के पश्चात् उसका पौत्र संसारचन्द द्वितीय 1775 ई. में काँगड़ा का राजा बना। वह अपने पिता तेगचन्द की आकस्मिक मृत्यु के कारण मात्र 10 वर्ष की उम्र में काँगड़ा की राजगद्दी पर बैठा था। 
  •  1783 ई. में मुगलों के आत्मसमर्पण के बाद जयसिंह ने नागरकोट के किले पर कब्जा कर लिया। कुछ वर्षों तक यह किला जयसिंह के अधीन रहा। संसारचन्द ने इस किले को अपने नियन्त्रण में लेने के लिए सरदार जयसिंह से युद्ध किया। मुगलों से काँगड़ा के नागरकोट किले पर कब्जे के लिए संसारचन्द ने कन्हैया मिस्ल के सरदार जयसिंह से सहायता माँगी । 
  •  1786 ई. में महाराजा रणजीत सिंह द्वारा संसारचन्द व सरदार जयसिंह के मध्य एक समझौता कराया गया जिसके अनुसार नागरकोट का किला संसारचन्द को सौंप दिया गया और उसमें रखी युद्ध सामग्री जयसिंह को दी गई । 
  •  1786 ई. से 1805 ई. तक का काल संसारचन्द के लिए स्वर्णिम काल था । 
  •  संसारचन्द ने 1801 ई. में बटाला के निकट के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया तथा 1804 ई. में होशियारपुर और बजवाड़ा के क्षेत्रों पर आक्रमण करना आरम्भ किया, किन्तु वहाँ से उसे महाराजा रणजीत सिंह ने हराकर भगा दिया । मैदानी क्षेत्र में असफलता के बाद उसने अपनी सेना को कहलूर की ओर मोड़ लिया और सतलुज नदी के दाएँ तट पर कब्जा कर लिया। इसने झांझरधार पर छातीपुर नामक एक किला बनवाया। संसारचन्द के कहलुर आक्रमण से अन्य पहाड़ी राज्यों में विद्वेष की भावना भड़क उठी। 
  •  पहाड़ी शासकों के एक संघ ने कहलूर के राजा महानचन्द के माध्यम से गोरखा अमर सिंह थापा को राजा संसारचन्द पर हमला करने के लिए आमन्त्रित किया ।


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