Famous Glaciers In Himachal Pradesh

 Famous Glaciers In Himachal Pradesh In Hindi

||Famous Glaciers In Himachal Pradesh||Famous Glaciers In HP In Hindi||

Famous Glaciers In Himachal Pradesh


हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध हिमनद (FAMOUS GLACIERS IN HIMACHAL PRADESH):-

Famous Glaciers In Himachal Pradesh:- हिमालयी क्षेत्र के ग्लेशियर लगातार सिकुड़ते जा रहे हैं। ग्लेशियरों के सिकुड़ने के कारण जहां एक ओर मैदानी क्षेत्रों में पहाड़ों की अपेक्षा तापमान कम होता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर पहाड़ों में बर्फबारी कम होने से नदियों के जल स्तर में भी गिरावट आ रही है। ग्लेशियरों के सिकुड़ने की घटना को वैज्ञानिकों ने गंभीरता से लिया है। प्रदेश को विज्ञान एवं तकनीकी परिषद् ने पहले ही राज्य के ग्लेशियरों को लेकर व्यापक अध्ययन किया है। परिषद् के अध्ययनों से साफ प्रतीत होता है कि 'ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियरों के सिकुड़ने के साथ-साथ मौसम की प्रति भी बदल रही है। प्रदेश में सामान्य दिसम्बर महीने में बर्फबारी होती थी, मगर अब बर्फ से ढकी रहने वाली चोटियां भी जनवरी तक खाली ही रहती हैं। सर्दियों में बर्फबारी कम होने को प्रदेश में विद्युत के उत्पादन से जोड़ कर भी देखा जाने लगा है। साथ ही ग्लेशियरों के सिकुड़ने की स्थिति से भी राज्य में विद्युत उत्पादन के आंकलन गड़बड़ा सकते हैं। राज्य विज्ञान एवं तकनीकी परिषद् में हिमाचली क्षेत्र के ग्लेशियरों को लेकर जो अध्ययन किया है वह चौंकाने वाला है। विज्ञान एवं तकनीकी परिषद् के विशेषज्ञों ने शौन गंगा तथा जनपा ग्लेशियरों का अध्ययन किया है इसके बाद कुछ अन्य ग्लेशियरों का अध्ययन भी वैज्ञानिकों ने किया है। परिषद् के विशेषज्ञों ने 1963 से 1997 तक के उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर अपना अध्ययन किया तथा निष्कर्ष निकाला है कि शौन गंगा ग्लेशियर लगभग 1050 मीटर पीछे हट चुका है। स्पष्ट है कि यह ग्लेशियर हर साल तीस मीटर सिकुड़ रहा है। इसी तरह जनपा हिमखंड भी 1963 के मुकाबले 650 मीटर सिकुड़ चुका है। हिमालयी क्षेत्र के इन ग्लेशियरों के सिकुड़ने की घटना से वैज्ञानिक चिंतित हैं। भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रदेश में आम तौर पर जो ग्लेशियर उपलब्ध हैं वह घाटी में हैं और घाटी में स्थित हिमखंड इतनी तेजी से नहीं सिकुड़ते। 

प्रदेश में कई बड़े ग्लेशियर हैं, जो नदियों को जीवन प्रदान करते हैं। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि नदियों को ग्लेशियरों से कितना पानी मिलता है। प्रदेश का सबसे बड़ा ग्लेशियर 'बड़ा शिगड़ी' चिनाब नदी का स्रोत है। यह पूरे वर्ष बर्फ से ढका रहता है। इसके अलावा चंद्रा ग्लेशियर, व्यास कुंड, भादल ग्लेशियर, लेडी ऑफ केलाँग कुछ विख्यात ग्लेशियर हैं, जो प्रकृति की खूबसूरती का अनमोल रत्न होने के साथ-साथ कई नदियों के प्राणदायक भी हैं। 

Famous Glaciers In Himachal Pradesh:-हिमाचल प्रदेश में स्थित प्रसिद्ध हिमनद निम्न हैं:

 (1) लाहौल का बड़ा शिगड़ी हिमनद (BARA SHIGRI GLACIER) : यह वह हिमनद है जिससे चन्द्रा नदी को पानी मिलता है। हिमाचल प्रदेश में स्थित यह सबसे बड़ा हिमनद है जिसकी लम्बाई 25 किलोमीटर तथा चौड़ाई 3 किलोमीटर है। यह मुख्य हिमालय के मध्य की ढलान पर स्थित है। छोटे-छोटे अन्य ग्लेशियर इस ग्लेशियर को सिंचित करते हैं। बड़ा शिगड़ी ग्लेशियर का पूरा क्षेत्र बंजर तथा बिना किसी प्राकृतिक उपज के है। कहा जाता है कि वर्ष 1936 में इस ग्लेशियर ने चंद्रा घाटी में भारी तबाही मचाई थी, जिसके परिणामस्वरूप बाद में चंद्रताल झील का निर्माण हुआ। सन् 1956 में पहली बार कुछ महिला पर्वतारोहियों ने इस पर विजय प्राप्त की, फिर 1958 में स्टीफेन्सन तथा सन्  1970 में मेजर बलजीत सिंह ने सफलतापूर्वक बड़ा शिगड़ी ग्लेशियर का भ्रमण किया। वर्ष 1957 में भारतीय भू-गर्व सर्वेक्षण संस्थान के तत्वावधान में जी. एन. दत्त तथा एफ. अहम्मद द्वारा इस ग्लेशियर के अध्ययन की शुरूआत की गई। चंद्रा घाटी के लाहौल क्षेत्र के अन्य प्रमुख ग्लेशियर हैं - छोटा शिगड़ी, पाचा, कुल्टी, शिपतिंग, दिंगकर्मो, तापन, गेफेंग, शिल्ली, बोलुनाग तथा शामुद्री। गेफेंग ग्लेशियर का नामकरण लाहौल घाटी के सुप्रसिद्ध देवता गेफेंग पर किया गया है। जिनका सराहन में एक मंदिर भी है। गेफेंग चोटी स्वीटजरलैंड की मैटरहौरन चोटी से मेल खाती है, जो वर्ष भर बर्फ से ढ़की रहती है। स्थानीय लोग इसे लाहौल घाटी का मणीमहेश भी कहते हैं। कुल्टी ग्लेशियर, कोक्सर के नजदीक स्थित है। मिलांग ग्लेशियर, कुल्टी के उत्तर में दारचा और खेक्राड़ के मध्य स्थित है। तारागिरि ग्लेशियर भी मिलांग ग्लेशियर के नजदीक ही है। मिलांग ग्लेशियर पर सर्वप्रथम सन् 1939 में राष्ट्रीय छात्र संघ के सदस्यों ने विजय प्राप्त की थी। 

(2) भादल हिमनद (BHADAL GLACIER) : यह ग्लेशियर पीरपंजाल श्रृंखला की दक्षिण-पश्चिम ढ़लान पर जिला कांगड़ा के बड़ाभंगाल क्षेत्र में स्थित है। भादल नदी इसी ग्लेशियर द्वारा सिंचित की जाती है जो रावी नदी की एक बड़ी सहायक नदी है। इस ग्लेशियर का धरातल बड़ी-बड़ी चट्टानों तथा अन्य हिमनद खण्डों से भरा पड़ा है। शरद ऋतु में भारी हिमपात के कारण यह ग्लेशियर अपना बड़ा आकार बना लेता है, जबकि ग्रीष्म ऋतु में चरवाहे आसानी से यहां तक पहुंच जाते हैं। 

(3) चंद्रा हिमनद (CHANDRA GLACIER) : यह ग्लेशियर मुख्य हिमालय की ढुलान पर हिमाचल के जिला लाहौल स्पिति में स्थित है। इस हिमनद के कारण चंद्रताल झील का निर्माण हुआ है और यह सम्भवतः 'बड़ा शिगड़ी' ग्लेशियर से ही अलग हुआ है। यह ग्लेशियर चंद्रा और भागा नदियों को सिंचित करता है जो मिलकर चिनाब नदी का रूप धारण करती है।

 (4) भागा हिमनद (BHAGA GLACIER) : यह ग्लेशियर भी जिला लाहौल स्पिति में मुख्य हिमालय की ढ़लान पर स्थित है। इस हिमनद से भागा नदी का उद्गम होता है। इस ग्लेशियर के चारों ओर बर्फ से ढुकी ऊंची-ऊंची चोटियाँ है। यहाँ तक पहुंचने के लिए 'कोक्सर' और 'तांडी' (जिला लाहौल स्पिति) का रास्ता अपनाया जाता है। इसकी लम्बाई 25 किलोमीटर है। पत्तन घाटी में स्थित अन्य ग्लेशियर हैं - शिल्पा, कुक्टी, लेंगर धोकसा व नीलकण्ड। भागा घाटी के प्रमुख ग्लेशिर हैं-मिलांग, मुक्किला, लेडी ऑफ केलांग तथा गैंगस्तांग । -

 (5) चंद्रनाहन हिमनद (CHANDRANAHAN GLACIER) : चंद्रनाहन ग्लेशियर मुख्य हिमालय के दक्षिण पूर्व की ढ़लान में जिला शिमला के रोहडू क्षेत्र के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। यह ग्लेशियर पब्बर नदी को सिंचित करता है। कई अन्य छोटे-छोटे ग्लेशियर चंन्द्रनाहन ग्लेशियर के साथ जुड़े हुये हैं। इस ग्लेशियर के समीप ही चंन्द्रनाहन झील स्थित है। इस ग्लेशियर के चारों तरफ बर्फ से ढ़की हुई ऊंची-ऊंची चोटियां स्थित हैं, जिनकी ऊंचाई 6000 मीटर या इसे अधिक है। 

(6) 'केलाँग की महिला' हिमनद (THE LADY OF KEYLONG GLACIER) : यह ग्लेशियर 6061 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है तथा केलाँग कस्बे से बड़ी आसानी से देखा जा सकता है। यह ग्लेशियर पर्यटकों में काफी लोकप्रिय है। इसका नामकरण 'द लेडी ऑफ केलाँग', अंग्रेजी महिला लेडी एलशेनदे द्वारा लगभग सौ वर्ष पूर्व ( 19वीं शताब्दी में) अंग्रेजी शासन के समय किया गया था। यह ग्लेशियर वर्ष भर बर्फ से ढ़का रहता है। वर्ष के मध्य काल में कुछ बर्फ पिघलने पर इसकी आकृति एक महिला की तरह दिखाई देती है, जो अपनी पीठ पर भार उठाऐ हुए हो। भारतीय भू-सर्वेक्षण संस्थान के पास भी यह 'लेडी ऑफ केलॉग' के नाम से ही पंजीकृत है।

(7) गोरा हिमनद (GORA GLACIER): हिमाचल प्रदेश के मुख्य हिमालय की दक्षिण मुख्य ढलान पर यह ग्लेशियर स्थित है। भारी जनसंख्या दबाव तथा बदलते पर्यावरण के कारण यह ग्लेशियर काफी हद तक सिकुड़ गया है। 

(8) मुक्किला हिमनद (MUKILA GLACIER): भागा घाटी में यह ग्लेशियर 6478 मीटर की  ऊंचाई पर स्थित है। 

(9) सोनापानी हिमनद (SONAPANI GLACIER): यह ग्लेशियर कुल्टी नाला के संगम से लगभग 5030 किलोमीटर दूर है, जिसका दो बार सर्वेक्षण किया जा चुका है। प्रथम बार सन् 1906 में वॉकर व पास्को द्वारा तथा दूसरी बार सन् 1957 में भारतीय भू-गर्व सर्वेक्षण के कुरिअन और मुंशी द्वारा सोनापानी ग्लेशियर रोहतांग दर्रे से स्पष्ट दिखाई देता है। 

(10) दुधोन और पार्वती हिमनद (DUDHON AND PARBATI GLACIER): दुधोन व पार्वती ग्लेशियर जो पार्वती नदी को पानी देते हैं तथा लम्बाई में प्रत्येक 15 किलोमीटर है, कुल्लू घाटी में स्थित है। 

(11) पिराड़ हिमनद (PERAD GLACIER): पिराड़ ग्लेशियर छोटा तथा आसान पहुंच में पुतिरूणी के समीप स्थित है। पिराड़ का स्थानीय भाषा में अर्थ है- 'टूटी हुई चट्टान, जिसकी एक सुन्दर गुफा बनी हो।

 (12) मियार हिमनद (MIYAR GLACIER): मियार हिमनद जो मियार नदी को जल प्रदान करता है। इसकी लम्बाई 12 किलोमीटर के लगभग है। यह लाहौल घाटी में स्थित है। 

(13) ब्यास कुण्ड हिमनद (BEAS KUND GLACIER): यह ग्लेशियर व्यास नदी को जल प्रदान करता है तथा पीरपंजाल श्रृंखला की दक्षिण ढ़लान पर विश्व प्रसिद्ध रोहतांग दर्रे के समीप स्थित है। ऊपर वर्णित हिमनदों के अतिरिक्त और भी मध्यम एवम् छोटे आकार के हिमनद हैं, जो कई नदियों को सिंचित करते है। इनमें प्रमुख हैं- तिछु ग्लेशियर, सराउंमगा ग्लेशियर, दक्षिण धाका ग्लेशियर, उत्तरी ग्लेशियर, चांदी का ग्लेशियर, सामुद्रतपा ग्लेशियर, तारागिरि ग्लेशियर, रायगढ़ ग्लेशियर, तपनी-लाहुनी ग्लेशियर, शिल्ली लालुनि ग्लेशियर, शान ग्लेशियर, शिपतिंग ग्लेशियर इत्यादि ।


Source :- The WonderLand Himachal Pradesh



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