Famous Mountain Ranges in Himachal Pradesh In Hindi
||Famous Mountain Ranges in Himachal Pradesh In Hindi||Famous Mountain Ranges in HP In Hindi||
हिमाचल की प्रसिद्ध पर्वत श्रृंखलाएं (FAMOUS MOUNTAIN RANGES IN HIMACHAL)
Famous Mountain Ranges in HP:-हिमाचल प्रदेश में मनलुभावनी और आकर्षित करने वाली अनेक पर्वत श्रृंखलाएँ, चोटियाँ व घाटियाँ हैं। इन सभी की अपनी भौगोलिक, ऐतिहासिक, आर्थिक एवम्, सांस्कृतिक विशेषताएं हैं। हिमाचल प्रदेश को समझने के लिए इन श्रृंखलाओं को समझना आवश्यक है। हिमाचल प्रदेश में निम्न प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएं हैं :-
(1) शिवालिक या लघु हिमालय (SHIVALIK OR LOWERHILLS) : शिवालिक का नाम ही भगवान शिवजी से जुड़ा है। शिवालिक का अर्थ है- शिव की अलका यानि शिव की जटायें (Tresses of Shiva) इसका पुराना नाम 'मैनाक पर्वत' या मानक पर्वत था। इसकी समुद्रतल से मुख्य ऊंचाई 350 मीटर से 1500 मीटर तक उठती है। इस श्रृंखला में सिरमौर, बिलासपुर, हमीरपुर मंडी जिला के निचले क्षेत्र, नाहन, चम्बा, ऊना व कांगड़ा जिला के निचले भाग पड़ते हैं। इस क्षेत्र में औसतन वार्षिक वर्षा 1500 मिलीमीटर से 1800 मिलीमीटर तक होती है। इस क्षेत्र के सुप्रसिद्ध स्थल हैं। पॉँटा घाटी, नाहन तहसील, मण्डी जिला का जोगिन्द्रनगर कस्बा, कांगड़ा जिला का कांगड़ा क्षेत्र, नूरपुर, देहरा, ज्वाली तथा पालमपुर तहसील, चंबा जिला का डलहौजी, भटियात, चुराह, तथा चंबा तहसील। शिवालिक क्षेत्र की मिट्टी सरकरी तथा शीघ्र टूटने वाले कणों से बनी है, जिसके कारण भूमि कटाव की अधिकता पायी जाती है। इस क्षेत्र में कई सारे छोटे-छोटे नाले, जिन्हें स्थानीय भाषा में 'चो' या खड्डें कहते हैं, अक्सर बरसात के दिनों में भारी जल बहाव बनाते हैं। इस क्षेत्र में मक्का, गेहूं अदरक, गन्ना, धान, आलू तथा खट्टे फलों आम, लुकाठ, गलगल, नींबू इत्यादि की पैदावार होती है।
(2) भीतरी या मध्य हिमालय (INNER HIMALAYAS OR MID MOUNTAINS) : इस श्रृंखला की ऊंचाई समुद्र तल से 1500 मीटर या 4500 फुट से 4500 मीटर या 13500 फुट की है। मध्य हिमालय धौलाधार व पीरपंजाल श्रृंखलाओं की तरफ लगातार ऊँचाई प्राप्त करता है। इस क्षेत्र की प्रमुख श्रृंखलाएँ हैं-धौलाधार एवम् पीरपंजाल।
(i) धौलाधार : यह पर्वत श्रृंखला बृहद हिमालय से बदरीनाथ के पास छूटती है। सतलुज नदी इसे रामपुर के पास तथा लारजी नामक स्थल पर ब्यास नदी इसे काटती है। यह श्रृंखला जिला शिमला, कुल्लू, कांगड़ा से होते हुए चम्बा के दक्षिण-पश्चिम तक चली जाती है। जहां इसे रावी नदी काटती है। बड़ा भंगाल के पास इसका उत्तरी हिस्सा पीरपंजाल पर्वत श्रृंखला से टकराता है। इसकी समुद्रतल से ऊँचाई मुख्यत: 3050 मीटर से 4570 मीटर तक जाती है। बर्फ से ढके रहने के करण इसे "श्वेत श्रृंखला" या 'श्वेत मुकुट' का नाम भी दिया जाता है। धौलाधार पर्वत श्रृंखला बृहद हिमालय पर्वत श्रृंखला से अलग हो जाती है। यह पर्वत श्रृंखला की 'खेड़ी' नामक स्थान पर हिमाचल में शुरूआत होती, जहां रावी नदी हिमाचल प्रदेश को छोड़ती है।
(ii) पीर पंजाल : यह मध्य हिमालय की सबसे लम्बी श्रृंखला है जो बृहद हिमालय पर्वत श्रृंखला से सतलुज के किनारे के नजदीक से फूटकर एक ओर चिनाब और दूसरी ओर रावी तथा ब्यास नदी की जलधाराओं के बीच बंटवारे का काम करती है। रावी के स्रोत के पास यह धौलाधार की ओर झुकती है। पीरपंजाल श्रृंखला प्रदेश के मध्य में उत्तर पूर्व में स्थित है। लाहौल के दक्षिण में इसका बड़ा भू-भाग बर्फ-रेखा से ऊपर उठ जाता है। रोहतांग और अन्य प्रसिद्ध दर्रे इस श्रृंखला में स्थित हैं। इसकी ऊंचाई समुद्रतल से मुख्यत: 3960 से 5470 मीटर तक उठती है। हिमाचल में मानवीय निवास लगभग इस श्रृंखला के साथ समाप्त हो जाता है। हिमाचल में यह श्रृंखला सतलुज की घाटी से उठकर कुल्लू क्षेत्र को स्पिति क्षेत्र से अलग करती हुई पश्चिम की ओर कांगडा की उत्तरी सीमा बनाती है और चम्बा में जा निकलती है। यह रावी के उद्गम स्थल के पास धौलाधार के आगे मुड़ती है। इस श्रृंखला में अवस्थित प्रमुख स्थल हैं जिला सिरमौर के पछाद व रेणुका तहसील, जिला मण्डी के चच्योट व करसोग तहसील, जिला कांगड़ा के कांगड़ा तथा पालमपुर तहसील के ऊपरी भाग, ऊपरी शिमला पहाड़ियां तथा जिला चम्बा की चुराह तहसील के ऊपरी भाग। शिमला के दक्षिण में स्थित ऊंची चोटी 'चूड़धार' ( 3647 मीटर) जिसे 'चूड़चांदनी' के नाम से भी जाना जाता है इसी क्षेत्र में स्थित है।
सतलुज के उत्तर में मध्य हिमालय का उठाव समरूप से है। मध्य हिमालय की मिट्टी हल्की चिकनी, हल्की रेतीली तथा गहरे भूरे रंग की है जोकि बीज आलू तथा अन्य शीतोष्ण फसलों के लिए उपयोगी है। इस प्रकार की मिट्टी मुख्यत: पछाद रेणुका, अर्की, सोलन, जोगिन्द्रनगर, कांगड़ा, पालमपुर डलहौजी, चम्बा, ऊपरी भटियात तथा चुराह क्षेत्रों में पायी जाती है। मध्य हिमालय फलोत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
(3) बृहद हिमालय (GREATER HIMALAYA OR ALPINE ZONE) : यह पर्वत श्रृंखला हिमाचल प्रदेश की पूर्वी सीमा के साथ-साथ चलती है और इसकी ऊंचाई समुद्रतल से मुख्यत: 5000 मीटर से 6000 मीटर तक त-निस्सारण उठती है। सतलुज का तंग रास्ता इसे काटता है। यह स्पिति के जल-निस्सारण को व्यास के जल-1 से अलग करती है। इस क्षेत्र में वर्षा बहुत ही कम होती है। भूमि की उपजाऊ क्षमता श्रृंखला में स्थित अलग-अलग क्षेत्रों की अलग-अलग है। इस क्षेत्र का मौसम तथा मिट्टी सूखे फलों व फसलों के लिए उपयोगी है। बृहद हिमालय में हिमपात सामान्यत: अक्टूबर माह के मध्य में शुरू होता है तथा मार्च-अप्रैल तक जारी रहता है। इस समय पूरा क्षेत्र बाहरी दुनिया से कटा रहता है तथा जीवन एकाकी एवम् कंटीला महसूस होता है। इस क्षेत्र के प्रसिद्ध दर्रे हैं- साच दर्रा, चिन्नी दर्रा, छबिया दर्रा और कुगटी दर्रा (चंबा जिला में), रोहतांग दर्रा, कुंजुम दर्रा, बारालाचा दर्रा, हम्ता दर्रा, चंद्रखेरनी दर्रा (जिला लाहौल स्पिति) । सुप्रसिद्ध जाँसकर श्रृंखला इसी क्षेत्र में पड़ती है। यह प्रदेश की अन्तिम और पूर्वतम पर्वत श्रृंखला है जो स्पिति, किन्नौर और कश्मीर को तिब्बत से अलग करती है। सतलुज नदी इसे शिपकी के पास काटती है। प्रमुख हिमालय पर्वत श्रृंखला और जाँसकर पर्वत श्रृंखला के बीच किन्नर कैलाश चोटी (6500 मीटर) में स्थित है। इस श्रृंखला की सभी चोटियां छ: हजार मीटर से ऊंची हैं। हिमाचल की सबसे ऊंची पर्वत चोटी शिल्ला (7025 मीटर) तथा रिब्बो, फरगयोल (6791 मीटर) इसी पर्वत श्रृंखला में है। जाँसकर पर्वत श्रृंखला और प्रमुख हिमालय पर्वत श्रृंखला में अनेक हिम नदियां हैं। जैसे लाहौल में चन्द्रा नदी को पुष्ट करने वाला 'बड़ा शिगरी' हिमनद 25 किलोमीटर लम्बा है। कुल्लू में दुधोन और पार्वती हिमनद 15 किलोमीटर लम्बा है। लाहौल में मुल्कीला और मियार हिमनद 12 किलोमीटर लम्बा है जो पार्वती नदी को पुष्ट करता है। इसके अतिरिक्त अनेक 5 से 8 किलोमीटर लम्बे हिमनद हैं, जिनकी इस भूखण्ड संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
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Source:- The Wonderland Himachal Pradesh
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